नमस्कार दोस्तों जय मा मेलडी,हर हर महादेव,जय श्री गणेश।पोस्ट पढ़ने वाले अनेक एसे लोग होंगे जो साधक होंगे तंत्र मार्ग में रुचि रखते होंगे और साधना आदि भी करते होंगे। तंत्र के मार्ग में ध्यान मा विशिष्ट महत्व है। ध्यान एक एसा मार्ग है जो कि समाधि और सूक्ष्म जगत दोनों को प्राप्त करवाने वाला हैं। परंतु इस मार्ग में अनेकों भटकाव हे जिस कारण से साधक ध्यान की अवस्था को प्राप्त नहीं कर पाता। आज में आपको एक सरल अभ्यास बताऊंगा जिसको नित्य करने से आप 15 या 21 दिन में या उससे भी जल्द ही ध्यान की अवस्था को प्राप्त कर लेंगे।
आसन- ध्यान लगाने के लिए आसन का विशेष महत्व है।आप सोफ़ा अथवा बेड को छोड़ कर फर्श पर आसन लगा कर ध्यान करेंगे तो ज्यादा फायदा होगा सोफ़ा या बेड पे इसका आधा हो जाएगा। आसन के रंग का महत्व साधना में विशेष होता है परन्तु ध्यान लगाने के लिए कोई से भी रंग का आसन चलेगा। जिस स्थान पर आपके घर का मंदिर हे उसके सामने यानी मंदिर के सामने मुख रख कर आपको आसन पर बैठना हे। आसन पे बैठने के बाद आप जिस आसन में सहजता से 1 या डेढ़ घंटे तक बैठ पाए वो आसन लगाना हे जैसे की सुखासन,पद्मासन या सिद्धासन या दूसरा अन्य कोई भी आप आसन लगा सकते है। वैसे पद्मासन ध्यान लगाने के लिए उत्तम आसन हे इसमें रिड की हड्डी भी सीधी रहती है और ऊर्जा भी सहजता से ऊपर उठती है।
मुद्रा - आसन लगाने के बाद आती है मुद्रा लगाने की बारी। अष्टांग योग में अनेकों मुद्राओं का उपयोग होता हैं परंतु हम अभी साधारण ध्यान कर रहे हैं जिसके लिए ज्ञान मुद्रा उपयुक्त हैं।आपको ज्ञान मुद्रा लगा के आंखो कि पलको को धीरे - धीरे बंध कर लेना है।
अभ्यास - अब आती है मुख्य बात। अब आपको जिस मंत्र का अभ्यास करना है में वो बताने जा रहा हूं। सभी मंत्रो का जहा से आरंभ हुआ है जिसे शिव जी खुद अपना गोत्र कहते है गणेश पुराण के अनुसार जो महागणपति जी का बीज मंत्र हे जिसके बिना सारे मंत्र अधूरे हे आपको उस ॐ का अभ्यास करना है। ये सुनने में आती साधारण प्रतीत होता है होगा परन्तु करने में साधारण नहीं। में अब आपको इसका लय अभ्यास बताता हूं। आपको ' अ ' का उच्चारण मन में करना है और साथ ही नक और मुंह से सांस भरनी है फिर ' ऊ ' का मन में उच्चारण करना है और इसके साथ ही नाक और मुंह से सांस बाहर निकाल देनी है सांस निकालने के तुरंत बाद आपको ' म ' का उच्चारण मन में करना है और होंट बंध कर लेनी है। आपको 25 से 30 मिनिट तक ये अभ्यास दोहराना है इसके बाद आपका सर बोहोत भारी हो जाएगा परन्तु आपको डरना नहीं हे और आसन त्याग नहीं करना है केवल मंत्र अभ्यास छोड़ देना हे फिर आपको धीरे - धीरे प्राणायाम शुरू करना है सांस अंदर लेके थोड़ी देर रुक के बाहर छोड़ नी है। आप कुछ ही क्षणों में ध्यान की गहराइयों में उतर जाएंगे।
में मेरा सम्पूर्ण ज्ञान गुरु माता मां खूंखार मेलडी(Bareja) तथा गुरु पिता महादेव और गुरुदेव श्री गणेश का प्रसाद समझता हूं तथा सारा श्रेय उनके श्री चरणों में समर्पित करता हूं।